Pran Gayatri Mantra

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प्राण गायत्री मंत्र

सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी | ॐ अपरम्पार में अपरम्पार अपरम्पार में ब्रह्मपार ब्रह्मपार में गिरि कैलाश, कैलाश गिरि पर गगन मंडल छाया | ज्योति से त्रिकुटी भई ॐ सोहं से मार्ग पाया | कैलाश में महादेव पार्वती ने किया निवासा | प्राण गायत्री का भया प्रकाशा | ॐ गुरूजी कौन पुरुष ने बाँधी काया, कौन डोर से हंसा आया, कौन कमल से संसार रचाया, कौन कमल से जीव का वासा, कौन कमल से निरंजन निराई, कौन कमल में फिरी दुहाई | कहो सिद्धों असंख्य युग की बात, नहीं तो धरो सब ठाट - बाट |

ॐ गुरूजी अलख पुरुष ने बांधी काया बेगम डोर से हंसा आया | नाभी कमल से संसार रचाया, ह्रदय कमल से जीव का वासा कुन्ज कमल में निरंजन निराई, त्रिकुट महल में फिरी दुहाई | कौन के हम शिष्य हैं कौन हमारा नाम, कौन हमारा इष्ट है, कौन हमारा गाँव, ॐ गुरूजी शबद के हम शिष्य हैं सोहं हमारा नाम, प्राण हमारा इष्ट है, काया हमारा गाँव |

ॐ सोहं हंसाय विदमहे प्राण प्राणाय धीमहि तन्नो ज्योति स्वरुप प्रचोदयात् | इतना प्राण गायत्री सम्पूर्ण भया | श्री नाथजी गुरूजी को आदेश |