Navgraha Havan Mantra

नवगृह हवन मंत्र

सूर्य देवता का हवन - गोघृत - शाकल या मदार या आक लकड़ी

दिशा पूर्व, मुद्रा हंसी, संख्या ९ या १०८ बार

सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी | सुन बा योग मुल कहे बारी बार | सतगुरु शब्द का सहज विचार || ॐ आदित्य खोजो आवागमन घट में राखो दृढ़ करो मन | पवन जो खोजो दसवें द्वार | तब गुण पावे आदित्य देवा || आदित्य गृह जाति का क्षत्रिय | रक्त रंजीत कश्यप पंथ || कलींग देश स्थापना थाप लो | लो पूजा करो सूर्य नारायण की || सत फुरे सत वाचा फुरे श्री नाथ जी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़े | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरे ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम - मंगल शुक्र शनि || बुध - गुरु राहु - केतु सुख करै, दुःख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़े || ॐ सूर्य मंत्र गायत्री जाप | रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ | नमो नमः स्वाहा |


सोमदेव हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा पलाश की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी, सोमदेव मन धरी बा शून्य | निर्मल काया पाप ना पुण्य || शशी - हर बरसे अम्बर झरे | सोमदेव गुण येता करें | सोमदेव जाति का माली | शुक्ली वर्णी गोत्र अत्री | | ओं जमुना तीर स्थापना थाप लो | कान्हरे पुष्प शिव शंकर की पूजा करो | सत फुरै सत वाचा फुरै श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै | भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | मंगल रवि शुक्र शनि | बुध गुरु राहु केतु सुख करै दु:ख हरै खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ सोम मंत्र गायत्री जाप रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ नमो नमः स्वाहा |


मंगलदेव हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा खैर की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी मंगल विषय माया छोड़े | जन्म - मरण संशय हरै || चंद - सूर्य दो सम करै | जन्म - मरण का काल | एता गुण पावो मंगल ग्रह || मंगल ग्रह जाति का सोनी | रक्त रंजित गोत्र भरद्वाजी || अवंतिका क्षेत्र स्थापना थाप लो | ले पूजा करो नवदुर्गा भवानी की || सत फुरै सत वाचा फुरै श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि | बुध गुरु राहु केतु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ मंगल मंत्र गायत्री जाप | रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


बुधग्रह हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा अपामार्ग की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी बुध ग्रह सत् गुरु जी दिनी बुद्धि | विवरो काया पावो सिद्धि || शिव धीरज धरे | शक्ति उन्मनी नीर चढ़ै | एता गुण बुध ग्रह करै | बुध ग्रह जाति का बनिया || हरित हर गोत्र अत्रेय | मगधदेश स्थापना थाप लो || ले पूजा गणेश जी की करै | सत फुरै सत वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि मंगल गुरु राहु केतु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ बुध मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


(गुरु) बृहस्पति हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा पीपल की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी, बृहस्पति विषयी मन जो धरो | पांचों इन्द्रिय निग्रह करो | | त्रिकुटी भई पवना द्वार | एता गुण बृहस्पति देव || बृहस्पति जाति का ब्राह्मण | पित पीला अंगिरस गोत्र || सिन्धु देश स्थापना थाप लो | लो पूजा श्री लक्ष्मी नारायण की करो || सत फुरै सत वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि | मंगल बुध राहु केतु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ गुरु मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


शुक्रदेवता हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा गुलर की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी शुक्रदेव शोधे सकल शरीर | कहा बरसे अमृत कहा बरसे नीर || नव नाडी बहात्तर कोटा पवन चढ़ै | एता गुण शुक्रदेव करै || शुक्र जाति का सय्यद | शुक्ल वर्ण गोत्र भार्गव || भोजकट देश स्थापना थाप लो | पूजो हजरत पीर मुहमद | सत् फुरै सत् वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि बुध गुरु राहु केतु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ शुक्र मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


शनिदेव हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा शमी की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी शनिदेव पांच तत देह का आसन स्थिर | साढ़े सात, बारा सोलह गिन गिन धरे धीर || शशि हर के घर आवे भान | तौ दिन दिन शनिदेव गंगा स्नान || शनिदेव जाति का तेली | कृष्ण कालीक कश्यप गौत्री || सौराष्ट्र क्षेत्र स्थापना थाप लो | लो पूजा हनुमान वीर की करो || सत् फुरै सत् वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम मंगल शुक्र रवि || बुध गुरु राहु केतु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ शनि मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


राहु ग्रह हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा पलाश की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी राहु साधे अरध शरीर | वीर्य का बल बनायें वीर || धुंये की काया निर्मल नीर | येता गुण का राहु वीर|| राहु जाति का शूद्र | कृष्ण काला पैठीनस गौत्र || राठीनापुर क्षेत्र स्थापना थाप लो | लो पूजा करो काल भैरो || सत् फुरै सत् वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि | मंगल केतु बुध गुरु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | ॐ राहु मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |


केतु ग्रह हवन

हवन सामग्री - गौघृत तथा पलाश की लकड़ी

दिशा - पूर्व, मुद्रा - हंसी, संख्या - ९ बार या १०८ बार

ॐ गुरूजी केतु ग्रह कृष्ण काया | खोजो मन विषय माया || रवि चंद्रा संग साधे | काल केतु याते पावे || केतु जाति का असरु जेमिनी गोत्र काला नुर || अंतरवेद क्षेत्र स्थापना थाप लो | लो पूजा करो रौद्र घोर || सत् फुरै सत वाचा फुरै | श्री नाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै | हमारे आसन पर ऋद्धी सिद्धि धरै, भण्डार भरै | ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ गृह, १२ राशि, १५ तिथि | सोम रवि शुक्र शनि मंगल बुध राहु गुरु सुख करै दु:ख हरै | खाली वाचा कभी ना पड़ै | केतु मंत्र गायत्री जाप || रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ || नमो नमः स्वाहा |